16 साल पहले शुरू हुए श्रमदान से बदली बेतवा की काया, जो घाट गंदे थे, अब दिखने लगे साफ, खुशी में लोगों के रोपे पौधे अब बन चुके हैं पेड़, वहीं बेतवा को मैला करने वालों के खिलाफ लड़ाई भी जारी है
कहते हैं जहां चाह है वहां राह अपने अाप ही बन जाती है। ऐसे ही विचार के साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली समितियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2003 में बेतवा नदी जो प्रदूषित हो रही थी, की सफाई का जिम्मा उठाया। इसे नाम दिया गया बेतवा उत्थान समिति। ये समिति पिछले 16 साल से बेतवा की सफाई कर रही है।
इसका असर ये हुआ कि घाट साफ रहने लगे। वहीं मुक्तिधाम में हर खुशी पर पौधरोपण किया गया। जो पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। वहीं जैन परिवार ने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए शादी में वर-वधू का नाम और कार्यक्रम की तारीख के लिए कपड़े के थैले बनवाए हैं।
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस आज, स्मृति उद्यान में लोग अपने परिजनों की याद में हर साल करते हैं पौधरोपण, इससे बढ़ रही है हरियाली, वहीं शादी में थैले अपनाएं, पॉलीथिन हटाएं का संदेश देंगे
11 जनवरी 2003 से श्रमदान कर रही है बेतवा उत्थान समिति
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र के काम करने वाली शहर की कई संस्थाओं, समितियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बदलाव किए हैं। बेतवा की साफ सफाई के लिए शहर के लोगों ने 11 जनवरी 2003 से श्रमदान शुरू किया था। बेतवा उत्थान समिति के द्वारा 2003 से रोजाना बेतवा के घाटों पर श्रमदान जारी है। श्रमदानियों का कहना है कि इससे बेतवा की सफाई होती है और साथ ही पौधों का भी संरक्षण हो रहा है। 16 साल पहले जो पौधे लगाए थे वे अब पेड़ बन गए हैं। समिति के हितेंद्र रघुवंशी बताते हैं कि समिति में कई ऐसे श्रमदानी हैं जो पिछले 16 साल से रोजाना बेतवा पर श्रमदान के लिए पहुंचते हैं। समिति के उपाध्यक्ष अतुल शाह ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर सुधा चौधरी के समय से यह अभियान शुरू हुआ था। तब से यह श्रमदान जारी है। इसका फायदा यह हुआ कि अब घाटों पर लोग गंदगी नहीं करते। साथ ही रोजाना श्रमदान से घाटों का संरक्षण हो रहा है। साथ ही बेतवा भी साफ रहने लगी है।
परिजनों की याद में विकसित हुआ मुक्तिधाम
बेतवा उत्थान समिति की तरफ से मुक्तिधाम के पास स्मृति उद्यान की शुरुआत की की गई थी। इसका मकसद यह था कि कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों की स्मृति, पुण्यतिथि, वैवाहिक वर्षगांठ,जन्मदिवस आदि पर पौधे रोपित करे। इसका लाभ यह हुआ कि अब यहां काफी पौधे विकसित हो गए। पिछले डेढ़ दशक में यहां लगाए गए पौधे पेड़ बनाकर हरियाली फैला रहे हैं। पर्यावरण मित्र प्रमोद व्यास का कहना है कि इतने सालों में हमें जितनी सफलता मिलना थी उतनी नहीं मिल पाई लेकिन शहर के लोगों में नदियों के प्रति चेतना जाग्रत हुई।
बेटी की शादी में बांटेंगे कपड़े के थैले
पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए जैन परिवार ने शादी में वर-वधू का नाम और कार्यक्रम की तारीख सहित कपड़े के थैले बनवाए हैं। दरअसल विदिशा व्यापार महासंघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन की भतीजी और अनिल जैन की बेटी सीए सृष्टि की शादी 28 नवंबर को है। सृष्टि का विवाह गुजरात निवासी सीए राहुल शाह से हो रही है। शादी के पहले वधु पक्ष ने कई कपड़े के थैले बनवाए हैं जिसमें थैले अपनाएं, पॉलीथीन हटाएं का संदेश दिया है।
बेतवा के लिए जंग जारी है फिर शुरू करेंगे लड़ाई
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे नीरज चौरसिया बेतवा को प्रदूषण से बचाने के लिए एनजीटी के माध्यम से लड़ाई लड़ चुके हैं। वे अब फिर से एनजीटी में जाने के लिए तैयार हैं। गुजरात की अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी शहर में सीवेज लाइन का काम कर रही है। सीवेज लाइन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया नहीं गया है और इसके पहले कनेक्शन देना शुरू कर दिए गए हैं। इसलिए नीरज इस मामले को एनजीटी में ले जा रहे हैं।
16 साल पहले शुरू हुए श्रमदान से बदली बेतवा की काया, जो घाट गंदे थे, अब दिखने लगे साफ, खुशी में लोगों के रोपे पौधे अब बन...