सांची महोत्सव का समापन सुबह 8 बजे से ही दर्शन के लिए लगी कतारें

विदिशा/रायसेन . सांची में चल रहे महाबोधि महोत्सव का रविवार को समापन हो गया। पहली बार इतनी भीड़ देखी गई कि सुबह 8 बजे से चैत्यगिरी विहार के बाहर श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी। जबकि अस्थि कलशों के दर्शन 9.45 बजे से शुरू हुए।  इस कारण श्रद्धालुओं को 2-2 घंटे कतार में खड़े रहने के बाद ही अस्थि कलशों के दर्शन हो पाए, जबकि गर्भगृह में दर्शन के लिए एक सेकंड खड़े होने का मौका भी नहीं मिला।  ऐसी स्थिति शाम 5.30 बजे तक रही। सुबह 9.15 पर डबल लॉक से अस्थि कलश निकाले गए। शाम 6 बजे अस्थि कलशों को पूजा अर्चना के बाद वापस रख दिया गया।



अस्थि कलश यात्रा दोपहर 1.30 बजे शुरू होकर 37 मिनट में वापस आ गई । कलश यात्रा में भगवान बुद्ध और उनके दोनो शिष्य सारिपुत्र और महामोदग्लायन की प्रतिमाओं की सजी हुई पालकी श्रद्धालु अपने कंधों पर लेकर चल रहे थे। संस्कृति मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने भी अस्थि कलश के दर्शन किए। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के निधन की सूचना के बाद शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया गया।


इस बार 2000 से ज्यादा विदेशी बौद्ध अनुयायी जुटे महोत्सव में
इस बार महाबोधि महोत्सव में 2000 से ज्यादा विदेशी बौद्ध अनुयायी शामिल हुए, जिनमें डेलिगेट्स भी थे। श्रीलंका, जापान, वियतनाम, म्यामार, सिंगापाेर, थाईलैंड से बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी आए। सबसे अधिक 1500 बौद्ध अनुयायी श्रीलंका के रहे। इसके अलावा वियतनाम और सिंगापुर के लगभग 250 से ज्यादा मेहमान महोत्सव में शरीक हुए।