आजीविका से जीविका उपार्जन के संसाधन मिले (खुशियों की दास्तां)

 विदिशा:आजीविका मिशन से व्यवसायी बनी श्रीमती शीला बाई का मानना है कि महिलाओं के बीच में मिशन से आत्म निर्भरता की ओर अग्रसर हुई है। सीता समूह की सदस्य श्रीमती शीलाबाई समूह से जुड़ने से पहले वार्तालाप करने में हिचकती थी और अब बैंकिंग प्रणाली की बाते नही करती बल्कि ऑन लाइन भुगतान कर रही है यह सब आजीविका मिशन की गतिविधियों में सहभागिता निभाने से संभव हुआ है।



    हितग्राही श्रीमती शीलाबाई बताती है कि घर में पांच सदस्य की जीविका उपार्जन के लिए जद्दोजहद करना पड़ रही थी ऐसे समय आजीविका मिशन के मार्गदर्शन में गठित समूह की दीदीयों से जुड़ने का सौभाग्य मिला और धीरे-धीरे अग्रसर होने लगी। आजीविका मिशन के द्वारा किराना दुकान एवं पशुपालन के लिए बैंक के माध्यम से फायनेंस कराया गया। उक्त व्यवसाय से पारिवारिक आमदनी में वृद्वि होने लगी। अब बच्चों की पढ़ाई और खर्चा के लिए खासकर फीस भरने की समस्या से निजात मिली है वही आर्थिक रूप से सबल होते जा रही हूं। परिवार की आय में वृद्वि होने से सम्मान बढ़ा है। समूह से जुड़कर घरेलू खर्चे कैसे कम हो और आमदनी कैसे बढ़े की ओर मार्गप्रस्त किया है। समूह में जुडने से पहले और बाद में आए जीवन में परिवर्तन को स्पष्ट देखा जा सकता है। परिवार की जीविकाउपार्जन में पति के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आर्थिक सबलता की ओर बढ़ रहे है।


संपादक:आदर्श तिवारी