कोरोना वारियर्स डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा, विदिशा जिले की ऐसे अधिकारी है जो हर परिस्थितियो में पीडितो की मदद के लिए शासन के मापदण्डो के अनुसार मदद कराने में नही चूकते है। चाहे दिन-रात हो, चाहे सर्दी गर्मी, बरसात का मौसम है वे सौंपे गए कार्यो को पूरा करने के धुनी है।
वैश्विक महामारी कोरोना से विदिशा जिला भी अछूता नही है। ऐसे समय जब लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को अपने-अपने घरो में जाने चिंता सता रही थी। जिसे राज्य सरकार के द्वारा पूरा कराया गया है जिला स्तर पर उक्त कार्य को मूर्तरूप देने हेतु डॉ पीके मिश्रा को अधिकृत किया गया है उनके द्वारा अन्य राज्यों से सतत सम्पर्क कर प्रवासी मजदूरो को विदिशा लाने का तथा विदिशा जिले में अन्य राज्यों के मजदूरो को उनके पैतृक राज्य में भेजने के सुव्यवस्थित प्रबंध डॉ मिश्रा के द्वारा सुनिश्चित किए गए है।
सामाजिक न्याय विभाग के प्रभारी उप संचालक डॉ मिश्रा ने मुख्यमंत्री जी की घोषणा की मंशा के अनुरूप 735 प्रवासी मजदूरो के बैंक खातो में क्रमशः एक-एक हजार रूपए की राशि जमा कराई है वही 189 मजदूरो के खातो में राशि जमा कराने की प्रक्रिया प्रचलित है।
लॉकडाउन अवधि के दौरान दिन रात सेवा के माध्यम से जाने जाने वाले डॉ मिश्रा ने परिवार के संबंध में बताया कि उनकी बच्ची सौम्यता जो जोधपुर एम्स में डॉक्टर है का सड़क दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया है और कोहनी के ऊपरी हिस्से में फ्रेक्चर आ गया है। अपनी बच्ची का मोबाइल पर सम्पर्क कर हौंसला बढ़ाते हुए विषम परिस्थितियों में अपने आप को कैसे स्थापित करें की प्रेरणा दी और लॉक डाउन तक अपने शासकीय कार्यो को प्राथमिकता देते हुए लॉकडाउन के बाद जोधपुर में लड़की के पास आने की बात से अवगत कराया। पिता की कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए डाक्टर सौम्यता मिश्रा ने भी हाथ में फ्रेक्चर होने के बावजूद हर रोज मरीजो का इलाज करना नही छोड़ा है। वही उनका लडका प्रसून्न भी भोपाल एम्स में डाक्टर है जो कोरोना के संकट के दौरान अपने कर्तव्य से विमुख नही हो रहा है।
लॉक डाउन अवधि के दौरान मजदूरो से सहज सरल मधुर व्यवहार में चर्चा कर उनका हौंसला अफजाई ही नही कर रहे है बल्कि उन्हें अपने घर तक पहुंचाने के लिए आवश्यक प्रबंधो की आपूर्ति सुनिश्चित करा रह है। ऐसे महत्वपूर्ण कार्यो को 59 वर्षीय डॉ पीके मिश्रा सहज और सरलता से नवयुवको की तरह पूरा कर रहे है।
संपादक:आदर्श तिवारी